Friday, September 16, 2011

जिंदा है इन्सा...



ये दौर ज़ुल्म का दौर सही, हर और खोफ का शोर सही !
ज़ालिम का बजाहिर ज़ोर सही, हमलोग बड़े कमज़ोर सही !
इंसानियत पे मर मिटने के लिए ज़ज्बाए शहादत जिंदा है !
जिंदा है इन्सा... जिंदा है, जिंदा है इन्सा... जिंदा है !
कोई लाख हमे पाबन्द करे, इंसानियत दावत जिंदा है ......

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